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ॐ महालक्ष्म्यै नमः

कुबेर पूजन

कुबेर कि पूजा से पहले लक्ष्मी गणेश पूजा कर के उनकी पूजा करें

 

आज हम आप को वैदिक विद्धि से यक्षराज कुबेर कि पूजा कैसे करनी है यह बता टे हैं, यह हम धनतेरस को भी कर सकते और अन्य दिन भी।

इस विद्धि से पूर्व आप गणपती पूजा और माँ लक्ष्मी पूजा जरूर करें और एक माल मा गायत्री कर के उनकी पूजा कि करने कि आज्ञा मंगलें फिर, यक्षराज कुबेर के यंत्र या उनकी मूर्ति का जल अभिषेक करें, उसके बाद उनकी पूजा आरंभ होती है, उनकी पूजा करें से पूर्व आप आचमन विनयोग आदि करलें और कर के एक संकल्प लें कि आप यह पूजा इस अपने मनोरथपूर्ति के लियें कर रहे हैं।

संकल्प – मेरा नाम – मेरा स्थान – मेरा गोत्र – गुरु – अपके माता पिता – यह हैं, आप यक्षराज कुबेर कि पूजा इस मनोरथ से करना चाहा रहे हैं। इस के बाद अपनी पूजा प्रारंभ करें।

 

1, एक मार्किट से लेखनी या कलम और छोटू सा बहीखाता लेके अना है।

उसको मोली में बांधकर यक्ष राज कुबेर के पास रखना है, बहीखाता पर स्वस्तिक और मोली से बांधना है।

ॐ लेखनीस्थायै देव्यै नमः ( लेखनी )

ॐ वाणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः ( बहीखाता )

2, एक चोटी सी कुबेर जी के लियें तराजू मिल जाए छोटू सी तो वो लेनी है

और उस को भी मोली से बांध कर यक्ष राज कुबेर के पास रखना है,

ॐ तुलाधिष्ठातृदेवतायै नमः ( तराजू )

3, एक यक्षराज कुबेर कि मूर्ति मट्टी या अंटे कि बना लें या मार्केट से अष्टधानटु मूर्ति कि छोटी मूर्ति लेकर अजायें और मूर्ति न भी मिले तो कुबेर यंत्र ले ले ना, उसकि चोकि लगाकर वहाँ हरे रंग का आसन लगाएं उत्तर दिशा में, उनको अनेक तरहन के भोग दें लड्डू पेड़ जरूर रखें,

चाहें तो कुबेर मंत्र से उनका अभिषेक करके उनको चोकि पर आसनित करें

मंत्र – ॐ कुबेराय नमः

कुबेर यंत्र का अभिषेक भी शुभ होगा

अभिषेक में दूध दही सहद जल गंगा जल सुकंधीत गुलाबजल से उनका अभिषेक करें।

एक चोटी सी तिजोरी या गुल्लक मिल जाए तो वो भी रूपए डालके उनके पास ही रख दें उनसे प्राथना करें वह अपके धनको बड़ाएं सुख धनसे परिपूर्ण करें।

इस के साथ एक छोटा कलस पीले गोल्डन रंग का लेकर आयें उस में पेसे दाल दें वो उनके पास ही रखें 

 गोबर्धन के बाद उनको निलहा धूला कर पीले कपड़े में लपेट कर उसी तिजोरी में रख दें और अपने धन वाली जगह पर उनको रखें तो अच्छा होगा। उनके लियें रोज पनि और कहना जरूर रखें। उनकी चोकि मंदिर के साथ न हो।

 

सामग्री – स्वस्तिक, शुभ लाभ, मोली, श्री सूक्तं, श्री यंत्र, कुबेर यंत्र, हल्दी, धनिया कमलगट्टा, अक्षत (चावल) पीली सरसों पानी, दूर्वा घाँस, धन, पान का बीड़ा, सुपारी, इत्तर, पीले फूल नारियल, आसन । ( झाड़ू,) अंत में माँ लक्ष्मी का श्री सूक्त और आरती जरूर करें

वस्त्र कौन से रंग के पहने – लाल, पीला, सफेद

 

नोट – उनकी चोकि माँ लक्ष्मी और गणेश जी से छोटी होनी चाहिए। लक्ष्मी जी को गुलाब और कमाल अती प्रय हैं। गणेश जी को दूर्वा गंस अर्पित करें और लड्डू। माँ लक्ष्मी को सिंदूर आदि धन नारियल आदि उनको अर्पित करें फल पाँच मेवा।

 

अंतिम दिन – अक्षत, हल्दी, कमलगट्टा, पीली सरसों धनिया कि पोटली बनाकर अपनी तिजोरी में रख दें एक दूसरी पीले रंग के कपड़े में यक्षराज को रखें ध्यान रहे अगर आप कि तिजोरी उत्तर दक्षिण में हैं तो वह जादा सुरक्षित होती है। ( पीली सरसों थोड़ी सी कुबेर मंत्र जो उप्पर दिया है वह 108 बार जाप करके पूरे घर में यह सरसों डालनी है उनसे बोलना है आपको घर में धन का आगमन हो। 

 

 

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